शुक्रवार, 14 नवंबर 2008

तस्वीर

भावनाओं के रंग से बनाता हूं तस्वीर संभावनाओं की
जीतने की ज़िद की, कामयाबी की कामनाओं की

हारी हुई उम्मीदों को उड़ान देना है
फड़फड़ाते पंखों को आसमान देना है

हार नहीं, जीत की हार हो,
हम सब लड़ें और सच के सिपहसालार हों

ज़िंदगी की जंग हो, हौसले के संग हो
दर्द काफूर हो और दिल में उमंग हो

चीर कर बढ़ें सीना अंधेरे का
वजूद मजबूत हो सवेरे का

मुस्कुराता चांद हमारे बलाएं ले
सूरज भी जल-जल कर दुआएं दे

हवाओं से सुकून की शुभकामनाएं लें
हम सब को अपने समर हमदम बना लें

खुशहाली के आईने में देश की तस्वीर देखें
जहां उठाएं नज़र हम, वीर ही वीर देखें

नजदीकियां बढाएं औ दूरियां मिटाएं
नफरत के दौर में प्रेम गीत गाएं

अमर आनंद

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