इस 'आग' से लड़ना है
वतन पर है दुश्मनों की बुरी नज़र,
क़त्लेआम हर तरफ, अमन बेअसर।
दिल्ली में दहशत कभी, कभी खून से रंगी मुंबई,
इंसानियत पर हमलों की कोशिशें नई-नई।
बढ़ रहा है आतंक,'आग'में झुलस रहा है देश,
खौफ के कारोबारियों के रोज़ नए-नए वेश।
फिक्र नहीं सत्ता को, मुश्किल में अवाम,
अब सेना ही भगवान है, वही करेगी काम।
डरना नहीं हमको, देश का हौसला बढ़ाना है
लड़ना है इस 'आग' से, और काबू पाना है
अमर आनंद
(मुंबई पर आतंकी हमले के दौरान लिखी गई कविता)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ