मंगलवार, 30 दिसंबर 2008

दुआएं देश के लिए

दहशत और दर्द अब न हो यहां,
इतना खुशरंग हो अपना जहां।

वीरों की शहादत पर झुके सबके सर
उठाए कोई सवाल, तो वो हो बेअसर।

नफरत के दौर से मिले निजात,
वतन में हो सिर्फ एकता की बात।

सियासत का न हो बेजा इस्तेमाल
नेता और विकास का मिले ताल से ताल।

मिट जाए मंदी, जगे नया विश्वास
पूरे हों ख्वाब सबके,पूरी हो आस

क़दम-क़दम पर हो सुकून-ओ-अमन
पुलकित हो हर दम जन-गण-मन।

हे ईश्वर! देश अपना न कभी मजबूर हो,
ग़म, खौफ, मुश्किलें, इससे बहुत दूर हों।

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