रविवार, 22 अगस्त 2010

वक़्त खुदा होता है

वक़्त खुदा होता है
वक़्त जुदा होता है

वक़्त जनाब है
वक़्त जवाब है

वक़्त तलब है
वक़्त तड़प है

वक़्त में आशा है
वक़्त में निराशा है

वक़्त सनम होता है
वक़्त सितम होता है

वक़्त प्यार भी है
वक़्त वार भी है

वक़्त जोड़ होता है
वक़्त बेज़ोड़ होता है

वक़्त शोर का नाम है
वक़्त ज़ोर का नाम है

वक़्त एहतराम है
वक़्त इंतकाम है

वक़्त में गति है
वक़्त में प्रगति है

वक़्त चलता रहता है
वक़्त मचलता रहता है

वक़्त सूरत भी है
वक़्त सीरत भी है

वक़्त एक वास्ता है
वक़्त एक रास्ता है

थामिए वक़्त का हाथ
चलिए वक़्त के साथ

अमर आनंद

1 टिप्पणियाँ:

यहां 22 अगस्त 2010 को 12:15 pm बजे, Blogger सुधीर राघव ने कहा…

bahut hi sunder kavita.

 

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