बुधवार, 24 दिसंबर 2008

मायाराज में गुंडाराज !

'चढ़ गुंडन की छाती पर। मुहर लगेगी हाथी पर।' यही नारा था उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मायावती और उनकी पार्टी बीएसपी का। वही बीएसपी, जिसके एक माननीय विधायक शेखर तिवारी पर क़त्ल का सीधा-सीधा आरोप लगा है। कहा जा रहा है कि मायावती की सालगिरह में तोहफे के लिए पैसे उगाहने के मामले में बात इतनी बढ़ी, कि क़त्ल तक पहुंच गई। पैसे की मांग कर रहे शेखर तिवारी ने इंजीनियर मनोज गुप्ता को उनकी बात नहीं मानने पर इतना पीटा, उनकी मौत हो गई। इंजीनियर को पीट-पीट कर घायल करने के बाद इसी दबंग और बेशर्म विधायक ने पुलिस को ये कह कर बुलाया कि इंजीनियर गुंडागर्दी कर रहा है। बीएसपी के माननीयों की ज्यादती और गुंडई का ये पहला मामला नहीं है। पार्टी के सांसद और विधायक पहले भी अपने कुकृत्यों के लिए बदनाम रहे हैं। सवाल ये उठता है कि अपराध के खिलाफ दम भरने का स्वांग रचने वाली मायावती क्या कर रही हैं? बीएसपी की जिस मुखिया का अपनी पार्टी के गुंडों पर काबू नहीं है, वो भला सूबे को क्या गुंडों से निजात दिलाएगी? क्या मायावती की नज़र में उनकी पार्टी के ऐसे माननीय गुंडे नहीं हैं? राज्य की पिछली सरकार को खराब क़ानून- व्यवस्था के लिए पानी पी-पीकर कोसने वाली मायावती का सच सूबे की जनता के सामने आ गया है। मायावती भले ही तोहफे के लिए उगाही की बात से इंकार करें,लेकिन पब्लिक सब जानती है। देश की सत्ता पर काबिज होने का ख्वाब देखना और बात है, और सत्ता को सलीके से चलाना और बात।

1 टिप्पणियाँ:

यहां 25 दिसंबर 2008 को 11:03 am बजे, Blogger Meenakshi Kandwal ने कहा…

बीएसपी ने अपने दम पर बहुमत वाली सरकार बनाई। एक सवाल मन में उठता है क्या इन्हें इन्ही गुंडों की भीड़ का समर्थन प्राप्त है? जो किसी की जान को चंदे के चंद रुपयों से भी कम समझते हैं?

 

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