बंद करो ना-'पाक' हरकत
सरज़मीं पर दहशत, सरहद पार है डोर,
सबूतों का इशारा भी, पाकिस्तान की ओर।
क़बूल करो हक़ीक़त, तौबा करो ऐ पाकिस्तान,
टूट गया सब्र अगर, नहीं छोड़ेगा हिंदुस्तान।
नाम से सिर्फ पाक हो, ना-पाक सब काम,
भिड़ गए इस बार अगर, नहीं रहेगा नाम।
डरते हो हमसे तुम,सामने नहीं आते
आंतक को थाम कर, अशांति फैलाते।
सुधर जाओ, संभल जाओ, शर्म करो यार।
इंसानियत को कब तक करोगे शर्मसार।
नफरत की फसल, कब तक करोगे तैयार,
अमेरिका को भी यकीन है, हो तुम्ही गुनहगार।
मत भड़काओं आग, मत दो बेतुके बयान,
भारत के जज़्बात का तुम करो सम्मान।
एक ही हैं हिंद-पाक, एक ही है खून
छोड़ दो,अब छोड़ दो, हैवानियत का जुनून।
अमर आनंद
(ना-'पाक' इरादों और मंसूबों पर जाहिर किया गया जज़्बा)
1 टिप्पणियाँ:
नाम से सिर्फ पाक हो, ना-पाक सब काम,
भिड़ गए इस बार अगर, नहीं रहेगा नाम।
waah khoon me ubaal laati ye gazal kamaal ki hai. badhai...
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