सोमवार, 10 जनवरी 2011

बेहतरी की करो दुआ


दिल में मुल्क है, और राह में हैं मुश्किलें,
निकल पड़े हैं हम, चाहे फिर दम निकले।

देश मेरा दीन है, देश मेरा है मजहब
देश ही मकसद मेरा, देश जीने का सबब।

देश ही है दिल मेरा, देश ही एक वास्ता ।
देश के लिए है सफर, देश ही एक रास्ता।

राडिया, बरखा, अनंत ‘वीर’ क्यों।
हे ‘प्रभु’...देश की ऐसी तकदीर क्यों।

देश की दौलत पर मचा घमासान है।
सत्ता मेहरबान है, तो राजा पहलवान है।

चौपट राजा, अंधा क़ानून, नेताओं की मनमानी।
दर्द और बर्बादी है, देश की ये कहानी ।

मुकाम दूर, मंज़िल दूर, दिल भी, दिल से दूर हैं।
देश में आम आदमी आज कितना मजबूर है?

जोश नया, जुनून नया, तैयार नया खून है।
गणतंत्र के परचम पर चाहिए सुकून है।

देश ने झेला बहुत, बहुत हुआ, जो हुआ।
जो हुआ, सो हुआ, बेहतरी की करो दुआ।

अमर आनंद

1 टिप्पणियाँ:

यहां 22 फ़रवरी 2011 को 7:37 am बजे, Blogger Anant paliwal ने कहा…

Kya baat kya baat kya baat sir!!

 

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