मौन की ताकत
भीड़ के आगे खड़ा वो मौन है,
या खुदा मुझको बता वो कौन है।
जलन है, उत्तेजना है, पीड़ा है,
फिर भी उसने उठाया बीड़ा है।
चल पड़ा है वो शपथ पर,
दौड़ रहा है अग्निपथ पर।
हार को जीत बनाना है,
यही तो उसने ठाना है।
खड़े कुछ लोग संग-संग,
अब तेज होने लगी है जंग।
जारी रखना है ये सिलसिला,
तय करना है ये फासला।
उसको दुआएं दीजिए,
उसकी बलाएं लीजिए।
वो दूर करेगा ‘अंधेरा’,
लाएगा नया ‘सवेरा’।
अमर आनंद
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