शुक्रवार, 22 मई 2009

सरदार हैं, पर असरदार हैं

जनादेश के अंदाज़ ने बनाए कई कीर्तिमान,
सरदार और असरदार हुए, बढ़ा और मान।

सोनिया और राहुल का खूब यशगान हुआ,
आडवाणी का, बीजेपी का, खूब नुकसान हुआ।

बिखर गए तीसरे, बेकार हुआ लेफ्ट दांव,
अम्मा और बाबू भी, हैं बिन सत्ता की छांव।

रह गए, रुक गए, बड़े-बड़े 'वीर',
काम नहीं आए कोई, तिकड़म के तीर।

यूपी में हाथ का, बढ़ा जब साया,
थमी चाल हाथी की, घट गई माया।

धीमी हुई साइकिल, कमल कुम्हला गया,
सच है कड़वा, समझ सबको आ गया।

नप गए लालू और फेल हुए पासवान,
हार ने हर लिए, सबके ही अभिमान।

तीर चला नीतीश का, मिले खूब वोट,
बंगले और लालटेल पर, जम के हुई चोट।

लाल पर कमाल कर, तृणमूल जम गया,
करुणा का आंकड़ा पर, साउथ में कम गया।

हटे सब, विघ्न अब, मन जीतें सबका,
पीएम मनमोहन से, खुश हो सब तबका।

बने देश, बढ़े देश, विकास ज़ोरदार हो,
देश के सारे ग़म, खुद तार-तार हो।

अमर आनंद