मंगलवार, 30 दिसंबर 2008

दुआएं देश के लिए

दहशत और दर्द अब न हो यहां,
इतना खुशरंग हो अपना जहां।

वीरों की शहादत पर झुके सबके सर
उठाए कोई सवाल, तो वो हो बेअसर।

नफरत के दौर से मिले निजात,
वतन में हो सिर्फ एकता की बात।

सियासत का न हो बेजा इस्तेमाल
नेता और विकास का मिले ताल से ताल।

मिट जाए मंदी, जगे नया विश्वास
पूरे हों ख्वाब सबके,पूरी हो आस

क़दम-क़दम पर हो सुकून-ओ-अमन
पुलकित हो हर दम जन-गण-मन।

हे ईश्वर! देश अपना न कभी मजबूर हो,
ग़म, खौफ, मुश्किलें, इससे बहुत दूर हों।

कोटि-कोटि शुभकामनाएं

पग-पग मंज़िल,

पल-पल महफिल,

उम्मीदों के आंगन में,

जीवन दीप करे झिलमिल।

ख़्वाबों, खुशियों के,

सरगम से।

दूर रहें आप

हर गम से।

नया साल 2009 मुबारक़

अमर आनंद

शनिवार, 27 दिसंबर 2008

ये देश के दीवाने हैं

इन्हें गोलियां नहीं डरा पाईं। आतंक की बोलियों का भी इन पर कोई असर नहीं हुआ। इनका हौसला काबिले तारीफ है। जी हां कश्मीर की आम जनता ने दिखा दिया, कि वो जम्हूरियत पर यकीन करती है। अलगाववादी ताकतें कश्मीर के आम लोगों के दिल से हिंदुस्तान को नहीं अलग कर सकतीं। यही दिखाया है देश के दीवानों ने। 61 फीसदी की तादाद में वोट देकर। 61 फीसदी यानी पिछले असेंबली चुनाव में 43 फीसदी से 18 ज्यादा। ये आतंकवादियों और सरहद पार बैठे उनके आकाओं के गाल पर करारा तमाचा है। आतंकवादियों की धमकियों से बेफिक्र अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों ने वोट दिया है वादी में। वोटरों के इस हौसले में सिर्फ एक बात है, और वो है अमन के लिए उनका पुख्ता इरादा। और जीत भी इसी इरादे की हुई हैं, हारे हैं वो, जो या तो देश के दुश्मन हैं, या फिर उन्हीं की ज़ुबान में बात करते आए हैं।

बुधवार, 24 दिसंबर 2008

मायाराज में गुंडाराज !

'चढ़ गुंडन की छाती पर। मुहर लगेगी हाथी पर।' यही नारा था उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मायावती और उनकी पार्टी बीएसपी का। वही बीएसपी, जिसके एक माननीय विधायक शेखर तिवारी पर क़त्ल का सीधा-सीधा आरोप लगा है। कहा जा रहा है कि मायावती की सालगिरह में तोहफे के लिए पैसे उगाहने के मामले में बात इतनी बढ़ी, कि क़त्ल तक पहुंच गई। पैसे की मांग कर रहे शेखर तिवारी ने इंजीनियर मनोज गुप्ता को उनकी बात नहीं मानने पर इतना पीटा, उनकी मौत हो गई। इंजीनियर को पीट-पीट कर घायल करने के बाद इसी दबंग और बेशर्म विधायक ने पुलिस को ये कह कर बुलाया कि इंजीनियर गुंडागर्दी कर रहा है। बीएसपी के माननीयों की ज्यादती और गुंडई का ये पहला मामला नहीं है। पार्टी के सांसद और विधायक पहले भी अपने कुकृत्यों के लिए बदनाम रहे हैं। सवाल ये उठता है कि अपराध के खिलाफ दम भरने का स्वांग रचने वाली मायावती क्या कर रही हैं? बीएसपी की जिस मुखिया का अपनी पार्टी के गुंडों पर काबू नहीं है, वो भला सूबे को क्या गुंडों से निजात दिलाएगी? क्या मायावती की नज़र में उनकी पार्टी के ऐसे माननीय गुंडे नहीं हैं? राज्य की पिछली सरकार को खराब क़ानून- व्यवस्था के लिए पानी पी-पीकर कोसने वाली मायावती का सच सूबे की जनता के सामने आ गया है। मायावती भले ही तोहफे के लिए उगाही की बात से इंकार करें,लेकिन पब्लिक सब जानती है। देश की सत्ता पर काबिज होने का ख्वाब देखना और बात है, और सत्ता को सलीके से चलाना और बात।

सोमवार, 8 दिसंबर 2008

जीत के अर्थ

जाग रहा है जन-जन
उबल रहा है हर मन

सियासत के सूरमाओं
जान लो अब ये बात

जनता के सामने आपकी
कुछ भी नहीं औकात

मुद्दों, मसलों पर भरमाना
अब लद गया इसका जमाना

दिल्ली, एमपी, छत्तीसगढ़
मिजोरम या फिर राजस्थान

काम ही आया सबके काम
चूक गए मुद्दे तमाम

करो विकास के काम
जनादेश का है यही अर्थ

पकड़ो जनकल्याण की राह
बाकी सबकुछ है व्यर्थ

अमर आनंद