शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2009

रहमान की 'जय हो...'

सरज़मीं पर रहमान का ज़ोरदार स्वागत किया गया। हो भी क्यों न, रहमान ने जो इतिहास रचा है, वो काबिले तारीफ है। देश को अद्भूत सम्मान दिलाया है। रहमान की धुनों में गढ़ी कायमाबी की कहानी ने पूरे देश को 'गुलजार' कर दिया। रहमान ने वाकई देश की शान बढ़ाई है। ऑस्कर दिलाया है। रहमान के धुनों ने देश में इतिहास रचा है। इसके साथ ही हमें गीतकार गुलजार और गायक सुखविंदर का भी शुक्रगुज़ार होना चाहिए, क्योंकि इस हासिल में इन दोनों का भी कम योगदान नहीं है। काबिले तारीफ हैं अजहर और रूबीना भी। मुंबई के एक स्लम से ताल्लुक रखने वाले इन बच्चों ने स्लमडॉग मिलियनेर में बेहतरीन किरदार निभाया है। देश को विश्व स्तर पर गौरव दिलाने वाले इन कलाकारों को कोटि-कोटि नमस्कार है।

बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

मेरी कामना

मैं अंतर के उजाले से बाहर के अंधेरे का सामना करता हूं।
ये उजाला पूरी दुनिया को रौशन करे, ऐसी कामना करता हूं।

मैं भूखों के लिए रोटी का ज़रिया बनना चाहता हूं।
मैं युवाओं के लिए सकारात्मक नज़रिया बनना चाहता हूं

चाहता हूं कि मैं प्रेम की भावना बनूं।
और चाहता हूं कि देश के लिए संभावना बनूं।

मैं चाहता हूं कि लहराऊं तिरंगा बनकर आकाश में।
और भागीदार बनूं व्यक्ति और समाज के विकास में।

मैं चाहता हूं कि दर्द बांटूं देश का।
और चाहता हूं कि गम छीन लूं परिवेश का।

मैं वतन की आज़ादी का गान बनना चाहता हूं।
मैं धरती मां का स्वाभिमान बनना चाहता हूं।

गर बन सकूं तो हर होंठ पर खुशी के गीत बनूं मैं।
जिनके जीवन में है पीड़ा, उनका मीत बनूं मैं।

मैं जालिमों के लिए जलजला बनना चाहता हूं।
हारे हुए का हौसला बनना चाहता हूं।

दुनिया के लिए उम्मीद की आहट बनना चाहता हूं।
मेहनतकशों के लिए कामयाबी की छटपटाहट बनना चाहता हूं।

बन सकूं तो सूरज का शौर्य बनूं मैं।
सबको अपनाती हूई धरती का धैर्य बनूं मैं।

मैं जानता हूं कि मेरी ये जंग है बहुत भारी।
और इस राह में मुश्किलें हैं बहुत सारी।

फिर भी ये सिलसिला मैं यूं ही बढ़ाना चाहता हूं।
चांद की चांदनी बनकर ज़मीं पर छा जाना चाहता हूं।

दुआ कीजिए कि जीत जाऊं मैं हर समर में।
इतनी ताकत, इतना साहस हो आपके अमर में।

अमर आनंद